श्री भगवंत मान, श्री राय, मुख्यमंत्री पंजाब , एडीजीपी ट्रैफिक
महोदय जय हिंद
मुख्यमंत्री जी मुझे आश्चर्य है कि यह कानून जिसकी घोषणा सरकार भी कर रही है, स्कूलों कालेजों में भी जानकारी दे रही है, आखिर किसने बनाया है। नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन या कारें आदि चलाने के लिए नहीं देनी चाहिए। उनके लाइसेंस भी नहीं बनने चाहिए, यह बिल्कुल ठीक है, पर जो दंड आपने रखा है कि अगर कोई नाबालिग माता पिता के नाम पर गाड़ी चलाएगा तो उसके माता पिता को तीन साल तक की कैद और पच्चीस हजार रुपये का जुर्माना होगा। आखिर किस बुद्धिमान ने कानून बनाया है? तीन साल की कैद तो बहुत बड़े अपराध में होती है। अगर कोई बच्चा गाड़ी ले जाता है, चलाता है तो क्या आप उसके मां बाप को तीन साल के लिए जेल भेज देंगे? मैं मानती हूं कि नाबालिग बच्चों के गाड़ी चलाने से बहुत बड़े एक्सीडेंट हो जाते हैं, जैसा पुणे में हुआ, मुंबई में हुआ। उनको किसी तरह भी गाड़ी चलाने के लिए नहीं देनी चाहिए, पर यह तीन साल की कैद एकदम अव्यवहारिक और गलत है। माता पिता के लिए अगर एक दिन भी पुलिस स्टेशन में व्यतीत करना पड़े तो वह भी इतनी बड़ी सजा है कि जिंदगी भर कोई कभी ऐसी गलती नहीं करेगा। इस कानून में कुछ अपवाद भी होनी चाहिए। मान लीजिए घर में मुसीबत आ गई और कोई अन्य व्यक्ति उस समय सहायता के लिए नहीं या अस्पताल लेकर जाना है रोगी तो तो उसमें कुछ रियायत होनी ही चाहिए। उस पर पुन:र्विचार करें। एक बार नहीं अनेक बार। यह तीन साल की सजा तो बिल्कुल बदल दीजिए। वैसे आपको पता होगा कि दोपहिया वाहन तो किसी तरह गरीब आदमी भी खरीद लेता है। उसे पच्चीस हजार का जुर्माना करेंगे तो वह गाड़ी सरकार को बेच देना ज्यादा पसंद करेगा। कानून बनाइए, नाबालिग बच्चों को सड़कों पर दोपहिया या चौपहिया वाहन चलाने से सख्ती से रोकिए, पर यह सजा ठीक नहीं। वैसे सारे बच्चे स्कूलों कालेजों में पढ़ते भी नहीं, कुछ मजदूरी भी करते हैं। उनको कौन जागरूक करेगा। पहले खूब प्रचार कीजिए। सजा कम कीजिए और फिर यह कानून लागू करवाइए।
लक्ष्मीकांता चावला