राज्य में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए ग्राम सभाओं की अहम भूमिका – संधवां

0
98
15-26 जून तक हो रहा है ग्राम सभाओं का आयोजन
गाँवों के लोगों को ग्राम सभाओं में शिरकत करने की अपील
चंडीगढ़, 19 जून:
स्पीकर पंजाब विधान सभा स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि राज्य में सामाजिक- आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए ग्राम सभाओं की अहम भूमिका है और फरीदकोट जिले के गाँवों के निवासी जो ग्राम सभा के मैंबर हैं, को 15 से 26 जून तक अपने-अपने गाँवों में होने वाले ग्राम सभा के सैशन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।
ग्राम सभाओं के पुर्नोद्धार पर ज़ोर देते हुये स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि इन ग्राम सभाओं के सैशन के दौरान के पास किये सभी प्रस्ताव और मते सरकार की तरफ से स्वीकृत किये जाएंगे और सम्बन्धित गाँवों की ग्राम सभा के द्वारा निर्धारित किये गए विकास कामों को पूरा करने के लिए थोड़े समय में ज़रुरी फंड भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पंचायतों की सक्रिय भागीदारी के बिना इस मिशन को कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता क्योंकि पंजाब की 65 प्रतिशत आबादी गाँवों में बसती है, जिस कारण ग्रामीण पंजाब के विकास के बिना राज्य के सर्वपक्षीय विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती।राज्य में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए ग्राम सभाओं की अहम भूमिका -  संधवां -
उन्होंने ग्राम सभा की महत्ता पर ज़ोर देते हुये कहा कि ग्राम सभाएं पंजाब की तकदीर को बदलने का सामथ्र्य रखती हैं। उन्होंने अपील की कि ग्रामीण विकास से जुड़े हुए सभी पंच सरपंच और अन्य चुने हुए प्रतिनिधि अपने-अपने गाँवों के सुनहरी भविष्य को बेहतर बनाने के लिए इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें
ग्राम सभाओं की महत्ता और पुर्नोद्धार से गाँवों में होने वाले सर्वपक्षीय विकास संबंधी बताते हुये उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं से ग्रामीण विकास के मद्देनजऱ गांवों में स्टेडियम, जिम्म, पार्क आदि सांझी सहूलतें मुहैया करवाई जाएंगी।
———
सूचना एवं लोक संपर्क विभाग, पंजाब
लोक सभा क्षेत्र संगरूर में पारदर्शी और निष्पक्ष उप चुनाव कराने के लिए प्रशासन की तरफ से किये जा रहे हैं पुख़ता प्रबंध : रिटर्निंग अधिकारी
आखिऱी 48 घंटों सम्बन्धी स्टैंडर्ड ओपरेटिंग प्रोसीजऱ ( एस. ओ. पी) 21 जून को शाम 6 बजे से होंगे लागू : जतिन्दर जोरवाल
चंडीगढ़/संगरूर, 19 जून:
लोक सभा क्षेत्र-12 संगरूर के रिटर्निंग अधिकारी श्री जतिन्दर जोरवाल ने रविवार को बताया कि क्षेत्र में चुनाव सम्बन्धी सभी तैयारियाँ कर ली गई हैं और उप चुनाव को स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्वक ढंग के साथ करवाने के मद्देनजऱ सभी प्रबंध यकीनी बनाऐ जा रहे हैं। रिटर्निंग अफ़सर ने बताया कि लोक सभा क्षेत्र- संगरूर अधीन पड़ते सभी 9 विधान सभा क्षेत्रों की सरकारी मशीनरी 24 घंटे काम कर रही है जिससे शांतमयी, स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग के साथ चुनाव के अमल को पूरा किया जा सके। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में कुल 15, 69, 240 वोटर हैं जिनमें 8,30,056 पुरुष, 7,39, 140 महिलाएं और 44 ट्रांसजैंडर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस उप चुनाव के लिए कुल 16 उम्मीदवार- 13 पुरुष और 3 महिलाएं मैदान में हैं।
संगरूर लोक सभा क्षेत्र में 23 जून, 2022 को प्रात: काल 8 00 बजे से शाम 6.00 बजे तक वोटिंग होगी, जबकि वोटों की गिनती 26 जून, 2022 को होगी।
चुनाव के अमल के दौरान अमन-कानून की बाकायदगी सम्बन्धी जानकारी देते हुये श्री जतिन्दर जोरवाल ने बताया कि चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से पूरा करने के लिए क्षेत्र भर में तैनात पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स की तरफ से शराब, नशीले पदार्थों और पैसे बाँटकर वोटें खरीदने जैसी अलोकतांत्रिक घटनाओं को रोकने के लिए बहुत चौकसी से तलाशी के लिए जा रही है।
श्री जोरवाल ने कहा कि वोटरों को लुभाने के लिए शराब, नशीले पदार्थों और पैसों के वितरण की घटनाओं को रोकने के लिए समूह ए. आर. ओज़ और पुलिस अधिकारियों की तरफ से पैनी नजऱ रखी जा रही है और सूचना या शिकायत मिलने पर तुरंत छापेमारी की जायेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि चुनाव के मद्देनजऱ 21 जून, 2022 को शाम 6 बजे से 23 जून 2022 को वोटें पडऩे तक क्षेत्र में मुकम्मल ड्राई डे घोषित किया गया है और इस दौरान शराब की बिक्री पर मुकम्मल पाबंदी रहेगी।
रिटर्निंग अधिकारी ने यह भी बताया कि आखिरी 48 घंटों संबंधी स्टैंडर्ड ओपरेटिंग प्रोसीजऱ (एस.ओ.पी.) 21 जून, 2022 शाम 6 बजे से लागू हो जाती है। उन्होंने कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के मैनुअल के उपबंधों के अनुसार, आखिरी 48 घंटे के दौरान चुनाव मामलों के अंतर्गत सम्बन्धित पोलिंग क्षेत्र में चुनाव के सम्बन्ध में किसी भी सार्वजनिक मीटिंग/ इक_ को बुलाने/ चल रहे में उपस्थित होने, शामिल होने या संबोधित करने की मनाही है, यह पाबंदी 48 घंटों से चुनाव समाप्ति के लिए निश्चित घंटे के ख़त्म होने तक की मियाद के दौरान है। हालाँकि, 48 घंटों की मनाही की मियाद के दौरान सिनेमाटोग्राफ, टैलिविजऩ या अन्य ऐसे उपकरण का प्रयोग करके किसी भी चुनाव मामले को प्रदर्शित करने पर मनाही लागू होगी।
उन्होंने कहा कि बिना मंज़ूरी के भीड़ों पर भी पाबंदी होगी और साइलेंस पीरियड के दौरान सार्वजनिक मीटिंगें करने पर भी रोक होगी, जोकि उप-चुनाव से सम्बन्धित क्षेत्रों/ हलकों में लागू होगी।
जि़क्रयोग्य है कि भारत निर्वाचन आयोग की हिदायतों अनुसार, पंजाब सरकार ने 23 जून, 2022 को उप चुनाव के मद्देनजऱ सम्बन्धित विधान सभा क्षेत्रों में छुट्टी का ऐलान किया है जिससे वोटरों को अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करने की सुविधा दी जा सके। लोक प्रतिनिधित्व एक्ट, 1951 की धारा 135 बी के उपबंधों अनुसार, औद्योगिक अदारों, व्यापारिक अदारों, दुकानों और संस्थाओं के कर्मचारियों को 23 जून 2022 को लोक सभा क्षेत्र- संगरूर में वोटों वाले दिन तनख़्वाह समेत छुट्टी होगी।
——-
मुख्यमंत्री कार्यालय, पंजाब
किसानों की तरफ से एमएसपी पर मूँगी की फ़सल की सुचारू खरीद के लिए मुख्यमंत्री की सराहना
चंडीगढ़, 19 जून:
राज्य सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूँगी की फ़सल की खरीद के लिए किये गए पुख़्ता प्रबंधों से खुश राज्य भर के किसान मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के इस फ़ैसले का दिल से स्वागत कर रहे हैं।
इस फ़ैसले की सराहना करते हुये मोहाली के गाँव लालड़ू के किसान सुरिन्दर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने मूँगी की फ़सल की खरीद के लिए पुख़्ता प्रबंध किये हैं। किसान ने बताया कि उसकी फ़सल मंडी में आने से तुरंत बाद राज्य सरकार की तरफ से ऐलाने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खऱीदी गई। उसने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से मूँगी की फ़सल खरीदने के लिए किसानों की सुविधा के लिए उचित प्रबंध किये गए हैं।
इसी तरह गाँव मल्लवाल ज़दीद,
फिऱोज़पुर छावनी के किसान गुरप्रीत सिंह ने भी अपनी मूँगी की फ़सल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए राज्य सरकार की सराहना की। किसान ने कहा कि उसे अपनी फ़सल मंडी में बेचने में कोई दिक्कत नहीं आई क्योंकि राज्य सरकार ने इसके लिए व्यापक प्रबंध किये हैं। फसलों का उपयुक्त मंडीकरण यकीनी बनाने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुये उसने कहा कि इससे राज्य के किसानों की आय में विस्तार करके उनको मौजूदा खेती संकट में से बाहर निकालने में मदद मिलेगी।
लुधियाना के गाँव बर्मी के किसान जसबीर सिंह ने भी राज्य सरकार की तरफ से फ़सल की खरीद के लिए किये प्रबंधों की तारीफ़ की। उसने कहा कि जब वह अपनी फ़सल लेकर मंडी पहुँचा तो राज्य सरकार की तरफ से तैनात किये खरीद अधिकारियों ने राज्य की तरफ से दिए जा रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फ़सल बेचने में मदद की। उसने कहा कि राज्य सरकार के प्रबंधों के कारण उनको मूँगी की फ़सल बेचने में कोई दिक्कत नहीं आई।
मोगा के गाँव तखतूपुरा के किसान बलजीत सिंह ने बताया कि उसने अपनी 20 क्विंटल मूँगी बिना किसी समस्या के बेच दी है, जिसके लिए राज्य सरकार की तरफ से बनाऐ ढांचे का धन्यवाद। किसान ने कहा कि वह अपनी फ़सल को सुचारू और मुश्किल रहित ढंग के साथ लामिसाल समय में बेचने के योग्य हुआ है। उसने कहा कि मुख्यमंत्री की यह पहलकदमी किसानों को फ़सलीय विभिन्नता अपनाने के लिए उत्साहित करके उनकी आय में विस्तार करने में सहायक सिद्ध होगी और धरती निचले तेज़ी से घट रहे पानी को बचाएगी।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने गर्मियों की मूँगी की फ़सल की किसानों से सीधे 7275 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू की है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अपील का सकारात्मक समर्थन करते हुये राज्य के किसानों ने पिछले साल 50,000 एकड़ के मुकाबले इस साल लगभग 95,000 एकड़ क्षेत्रफल में गर्मियों की मूँगी की फ़सल की बुवाई की है। इस साल 4.75 लाख क्विंटल पैदावार की उम्मीद है, जबकि पिछले साल राज्य भर में कुल 2.98 लाख क्विंटल पैदावार हुई थी।
———
मुख्यमंत्री कार्यालय, पंजाब
मुख्यमंत्री ने अमित शाह को पत्र लिख कर पंजाब यूनिवर्सिटी के स्वरूप में किसी तरह के बदलाव का ज़ोरदार विरोध किया
ऐसा फ़ैसला पंजाब के लोगों को मंज़ूर नहीं होगा – भगवंत मान
चंडीगढ़, 19 जून:
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के स्वरूप में किसी तरह के बदलाव को रोकने के लिए दख़ल देने की माँग की है।
अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी में तबदील करने की संभावना को जाँचने के किसी भी कदम की ज़ोरदार विरोध करेगी।
मुख्यमंत्री ने दोनों नेताओं को बताया कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के स्वरूप में कोई भी बदलाव नहीं चाहेगी क्योंकि इस संस्था की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रांतीय अहमीयत के मद्देनजऱ पंजाब के लोगों के साथ इसकी दिली और जज़्बाती सांझ है। उन्होंने दुख ज़ाहिर किया कि बीते कुछ समय से संकुचित हितों वाली कुछ ताकतें पंजाब यूनिवर्सिटी के रुतबे को केंद्रीय यूनिवर्सिटी में तबदील करने के लिए इस मुद्दे को तुल दे रही हैं। भगवंत मान ने दोनों को याद करवाया कि साल 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के मौके पर पंजाब यूनिवर्सिटी को संसद की तरफ से लागू किये पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की धारा 72 (1) के अंतर्गत ‘इंटर स्टेट बॉडी कॉर्पोरेट’ घोषित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी के मौजूदा रुतबे की पुष्टि अदालत द्वारा पास किये अलग-अलग फ़ैसलों में भी की गई है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी अपनी शुरुआत से लेकर पंजाब में अपना कामकाज निरंतर और बिना किसी रुकावट के कर रही है। भगवंत मान ने याद करवाया कि इस संस्था को लाहौर जो उस समय पर पंजाब की राजधानी थी, से होशियारपुर तबदील कर दिया गया और उसके बाद पंजाब की मौजूदा राजधानी चंडीगढ़ में तबदील कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि इस समय पर पंजाब में यूनिवर्सिटी के साथ 175 कालेज मान्यता प्राप्त हैं और यह कालेज फाजिल्का, फिऱोज़पुर, होशियारपुर, लुधियाना, मोगा, श्री मुक्तसर साहिब और एस.बी.एस. नगर में स्थित हैं।
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पंजाब यूनिवर्सिटी का समूचा क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र पंजाब राज्य और केंद्र शासित चंडीगढ़ है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन एक्ट, 1966 की धारा 72 की उप धारा (4) के मुताबिक यूनिवर्सिटी की देखभाल सम्बन्धी घटती ग्रांट सम्बन्धित राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से क्रमवार 20: 20: 20: 40 के अनुपात में भरी जाती थी। भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने इस हिस्सेदारी वाले समझौते से हाथ खींचने का फ़ैसला लिया है। हरियाणा सरकार ने तो अपने कालेजों की पंजाब यूनिवर्सिटी की मान्यता भी वापस ले ली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1976 से पंजाब राज्य और चंडीगढ़ प्रशासन ही यूनिवर्सिटी की देखभाल के लिए घटती अनुदान की अदायगी क्रमवार 40:60 प्रतिशत अनुपात में करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की तरफ से हाथ खींचने से बढ़े वित्तीय बोझ और राज्य में नयी यूनिवर्सिटियाँ बनने के बावजूद पंजाब राज्य, पंजाब यूनिवर्सिटी की सहायता जारी रखेगा क्योंकि इस यूनिवर्सिटी और इसकी देखभाल और बचाने से पंजाब के लोग भावुक और ऐतिहासिक तौर पर जुड़े हुए हैं। भगवंत मान ने कहा कि मौजूदा समय पंजाब सरकार यूनिवर्सिटी को सालाना 42 करोड़ रुपए की ग्रांट दे रही है। इसके इलावा यूनिवर्सिटी पंजाब में अपने मान्यता प्राप्त कालेजों से तकरीबन 100 करोड़ रुपए सालाना एकत्रित करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी पंजाब की विरासत का प्रतीक है और यह पंजाब राज्य के नाम का समानार्थी भी है। उन्होंने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सिर्फ़ पंजाब और इसकी राजधानी चंडीगढ़ की ज़रूरतें पूरी करती है। इसलिए यूनिवर्सिटी का स्वरूप बदल कर केंद्रीय यूनिवर्सिटी में तबदील करने का कोई कारण नहीं है। यूनिवर्सिटी का इतिहास, विधान, मौलिकता, सामाजिक-सभ्याचार और ऐतिहासिक जड़ों के साथ-साथ अध्यापक और विद्यार्थी भी मूलभूत तौर पर पंजाब राज्य से सम्बन्धित होने का हवाला देते हुये भगवंत मान ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब यूनिवर्सिटी का मौजूदा कानूनी और प्रशासनिक दर्जा बहाल रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके विरोधी कोई भी फ़ैसला पंजाब के लोगों को मंज़ूर नहीं होगा।
———–