कृषि कानूनों के खिलाफ जहां विभिन्न किसान जत्थे बंदियां अपने तौर पर संघर्षरत है, वहीं महिलाएं भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। जिसके चलते मंगलवार को जिला मोगा के अनेक गांवों जिनमें कि मंसूर देवा, बधनी खुर्द, धूरकोट टाहली, बिलासपुर, कायुंके व रणसीन्ह कलां आदि शामिल है, से बड़ी संख्या में महिलाएं सिंघु बॉर्डर के लिए रवाना हुई
—————- मीडिया के रूबरू 23 वर्षीय वीरपाल कौर ने खुद को माई भागो व माता गुजरी की वारिस बताते हुए कहा कि वे लोग भी कृषि कानूनों के खिलाफ मैदान-ए-जंग में तब तक डटी रहेंगी, जब तक कि कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते।
————— 23 वर्षीय वीरपाल कौर व 45 वर्षीय बलजीत कौर मीडिया के आगे कहा कि केंद्र सरकार गलत प्रचार कर रही है। ताकि किसानों का आंदोलन विफल हो जाए। लेकिन उन्होंने कहा कि आज कि महिलाएं किसी से कम नहीं है। व वे अपने घर के पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इन ऋषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए हर क्षेत्र में डटकर उनका साथ देंगी।
———- 70 वर्षीय बेअंत कौर ने बताया कि वे लोग महिलाओं का जत्था लेकर दिल्ली जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज उनके बेटे, पोते व घर के और सदस्य बॉर्डर पर कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए धरनों पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि वे लोग किसी से कम नहीं है। जिसके चलते वे लोग अपने घर के पुरुषों का इन ऋषि कानूनों को रद्द करवाने में पूर्ण सहयोग करेंगे।