रंधावा द्वारा जालंधर और गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नरों को तुरंत सर्वेक्षण करने के निर्देश सर्वेक्षण के द्वारा रोग लगने के कारणों और रोकथाम के लिए अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान की जाएगी
चंडीगढ़, 8 सितम्बर: राज्य के कुछ हिस्सों में गन्ने की फ़सल पर लाल रोग के हमले का मुकाबला करने के लिए सहकारिता मंत्री स. सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने आज जालंधर और गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नरों को तुरंत सर्वेक्षण करने के निर्देश दिए हैं, जिससे नुकसान का अनुमान लगाया जा सके और इसको और अधिक फैलने से रोकने के लिए समय पर बचाव कार्य सुझाए जा सकें।
स. रंधावा ने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए कि एक व्यापक रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री जिनके पास कृषि विभाग भी है, के ध्यान में मामला लाया जाए जिससे सम्बन्धित विभागों कृषि, बाग़बानी, केन कमिश्नर, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना और शूगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, रीजनल सैंटर, करनाल के साथ नज़दीकी तालमले बनाकर इस पर कारगार योजना बनायी जा सके।
गन्ने की किस्म में लाल रोग के हमले के कारण पैदा हुई ताज़ा स्थिति की समीक्षा करने के लिए आज बुलाई गई एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए सहकारिता मंत्री ने कहा कि सम्बन्धित डिप्टी कमिश्नरों को पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना, गन्ना कमिश्नर के अलावा कृषि और बाग़बानी विभागों के साथ तालमेल करके काम करने के निर्देश दिए हैं, जिससे इस बीमारी से निपटने के लिए पहल के आधार पर तौर-तरीके ढूँढे जा सकें, जिससे इस नाज़ुक समय पर फ़सल को बचाया जा सके, जब नवंबर महीने से पिड़ाई का सीज़न शुरू होने वाला है और आने वाले सालों में भी इस बीमारी को फैलने न दिया जाए। स. रंधावा ने उन कारणों का पता लगाने के लिए खोज तेज करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, जिन कारणों से गन्ने की सीओ0238 किस्म पर रोग का अचानक हमला हुआ है।
सहकारिता मंत्री ने गन्ना उत्पादकों को इस बीमारी को लेकर ना घबराने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने सम्बन्धित अथॉरिटी को अधिक प्रभावित इलाकों की पहचान करने के लिए कहा है, जिससे इस बीमारी से कारगर ढंग से निपटने के साथ-साथ विस्तार सेवाओं के द्वारा इस रोग के लक्षणों और निपटने संबंधी जागरूकता पैदा की जा सके।
मीटिंग के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जुड़े शूगरकेन ब्रीडिंग इन्स्टीट्यूट, रीजनल सैंटर, करनाल के डायरैक्टर डॉ. एस.के. पाण्डे ने बताया कि सेम की समस्या के कारण बीते समय में यह बीमारी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पहले ही गन्ने की फ़सल पर प्रभाव डाल चुकी है। फि़ल्हाल, इस संबंधी गहरी खोज से खुलासा हुआ है कि गन्ने की सीओ-0238 किस्म ही प्रमुख तौर पर इस रोग का शिकार हुई है और इन राज्य के किसानों जिनका काफ़ी नुकसान हुआ है, को भविष्य में इस किस्म को पैदा न करने के लिए बता दिया गया है।
सहकारी सभाओं के रजिस्ट्रार श्री विकास गर्ग ने बताया कि गन्ना किसानों को उच्च मानक बीज मुहैया करवाने को सुनिश्चित बनाने के लिए पहले ही ठोस प्रयास कर रहा है, जिससे इसकी रिकवरी अधिक हो सके। इसलिए आश्विन-कार्तिक के महीना की बिजाई के लिए गन्ना उत्पादकें को अधिक उत्पादन वाले रोग मुक्त उच्च मानक वाले 20 लाख पौधे बाँटने के लिए तैयार हैं।
इस मौके पर पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी अनुसंधान केंद्र, कपूरथला के प्रिंसिपल शूगरकेन ब्रीडर डॉ. गुलज़ार सिंह संघेड़ा ने विस्तार में पेशकारी देते हुए सी.ओ.-238 गन्ने की किस्म में लाल रोग के मुख्य कारणों, इसके फैलाव और बचाव के तरीके भी बताए।
पिछले हफ़्ते मुकेरियाँ और किरी अफगाना चीनी मिल क्षेत्र के इलाके में गन्ने की सी.ओ.-0238 किस्म पर लाल रोग के हमले के बाद चीनी मिलों के अधिकारियों को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और रीजनल सैंटर करनाल के वैज्ञानिकों से फ़सल के सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया, जिसके बाद ही आज की यह मीटिंग रखने का फ़ैसला किया गया था।
मीटिंग में सहायक गन्ना कमिश्नर श्री वी.के. मेहता, सहकारी सभा के अतिरिक्त रजिस्ट्रार अमरजीत, शूगरफैड के जनरल मैनेजर श्री कंवलजीत सिंह और राज्य की सभी 9 सहकारी चीनी मिलों के जनरल मैनेजर भी उपस्थित थे।