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खालसा कॉलेज एजुकेशन में भाई वीर सिंह जी की पंजाबी साहित्य को देन विषय पर सेमिनार आयोजित II भाई मरदाना जी व भाई नंदलाल जी के बाद भाई शब्द का रुतबा भाई वीर सिंह को मिला

अमृतसर 5 दिसम्बर

खालसा कालेज ऑफ एजुकेशन में भाई वीर सिंह जी के 150वे जन्म दिवस के अवसर पर सेमिनार को संबोधन करते हुए रजिंदर मोहन सिंह छीना तथा हाजिर स्टाफ व विद्यार्थी

दीवान कोटामल के खानदान में 5 दिसंबर 1872 को जन्म लेने वाले भाई वीर सिंह श्री हरमंदिर साहिब के लिए फूलों की सेवा सुबह के पहले पहर बहुत श्रद्धा व सत्कार से निभाते थे तथा उनके पिता डॉक्टर चरण सिंह तथा नाना ज्ञानी हजारा सिंह अपने समय के प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने कहा कि महान कवि तथा लेखक भाई वीर सिंह ने आधुनिक पंजाबी साहित्य की अगुवाई करते हुए सिख पुनर्जागरण की शुरुआत की तथा जिसके लिए उनको बीसवीं सदी का लेखक कहा जाता है।   उक्त शब्दों का इजहार आज खालसा कॉलेज आफ एजुकेशन जीटी रोड में भाई वीर सिंह के 150 में जन्मदिवस पर भाई वीर सिंह जी की पंजाबी साहित्य देन विषय पर आयोजित सेमिनार के अवसर पर मुख्य मेहमान के रूप में पहुंचे खालसा कॉलेज गवर्निंग काउंसिल के मानद सचिव राजिंदर मोहन सिंह छीना ने अपने संबोधन में किया।इस अवसर पर खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ महल सिंह ने साहित्यिक विद्वान के रूप में पाए योगदान को याद करते हुए भाई वीर सिंह को पंजाबी कविता तथा उपन्यास की मशाल धारक करार दिया। उन्होंने अपने जीवन तथा इतिहास का वर्णन करते हुए कहा कि भाई वीर सिंह की शख्सियत इतनी बड़ी थी कि प्रत्येक राजनीतिक धार्मिक व समाजिक वंश को उनके साथ जुड़ने में गर्व महसूस होता था। उन्होंने कहा कि भाई मरदाना जी तथा भाई नंद लाल जी के बाद भाई वीर सिंह जी को भाई शब्द का रुतबा मिला हुआ है तथा श्री अकाल तख्त साहिब जी के जत्थेदार के बाद भाई वीर सिंह हाल गेट में होते हुए स्वागत करते उनको मान सम्मान प्राप्त होता था। इस अवसर पर छीना ने कहा कि भाई वीर सिंह की लिखित तथा स्वभाव ने अलग-अलग सिख संस्थाओं की नीव रखी जिसके फलस्वरूप सामाजिक जागृति आई।

उन्होंने कहा कि भाई वीर सिंह ने आधुनिक साहित्य तथा सोच की अगुवाई की तथा उनकी शख्सियत ने प्रत्येक राजनीतिक तथा सामाजिक पहल कदमी को प्रभावित किया। इस अवसर पर इतिहासकार तथा सिख चिंतक डॉ इंद्रजीत सिंह गोगोआणी ने भी उनके जीवन तथा लिखित के बारे में विचार चर्चा की। उन्होंने कहा कि भाई वीर सिंह की कविताएं तथा उपन्यास आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। वह सिख विरसे  तथा सभ्याचार का प्रतीक हैं ।वह एक पत्रकार तथा सर्वोत्तम विचारक थे। इस अवसर पर प्रिंसिपल डॉ दविंदर सिंह छीना ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भाई वीर सिंह पंजाब के इतिहास में उच्च हस्ती साबित हुई। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश प्रभाव बढ़ने के बाद सिख पहचान दांव पर लग गई थी भाई वीर सिंह ने एक ऐतिहासिक मोड़ पर पंजाब को नई सोच तथा अगवाई प्रदान की। इससे पहले कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर निर्मलजीत कौर संधू द्वारा कैंपस में पहुंचे वक्ताओं का स्वागत किया गया। इस अवसर पर खालसा कॉलेज के डीन तमिदर सिंह भाटिया, आतम रंधावा, भूपेंद्र सिंह, हीरा सिंह, कुलदीप सिंह आदि सहित अन्य कॉलेज स्टाफ व विद्यार्थी मौजूद थे।

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