कोरोना ने स्वाभाविक मौतों ग्राफ गिराया, पर्यावरण सही होने से बची जिंदगियां

(लाइव भारत)

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पंजाब के जालंधर से हिमालय की वादियां दिखने लगी

कोरोना काल में कई बदलाव देखने को मिले हैं। भले ही कोरोना के वायरस संक्रमण के चलते देश-दुनियां में मौतों को ग्राफ बढ़ा है लेकिन स्वाभाविक मौतों के साथ ही दुर्घटना से हुई मौतों का ग्राफ धड़ाम से नीचे गिरा है। अपराधिक घटनाएं जहां कम हुई हैं वहीं हवा में कार्बन की कमी के चलते प्रदूषण में भारी गिरावट हुई है। देश की नदियां जहां पहले से स्वच्छ दिखती हैं वहीं प्रदूषण की कमी से पंजाब के जालंधर से हिमालय की वादियां दिखने लगी थी, लेकिन लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अब सडक़ों पर यातायात दिखने लगा है जिसके चलते प्रदूषण फिर अपने रंगत में लौटने को आतुर है।

बंगाल में आया तूफान

एक तरफ बंगाल में आए तूफान ने तबाही मचाई है वहीं दूसरी तरफ कोराना के तूफान भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत की बात करे तो 1 लाख से अधिक कोरोना के मरीज सामने आ चुके हैं वहीं मौतों का ग्राफ भी बढ़ा है। ऐसे में कोरोना के चलते आज भी देश की तकरीबन आबादी घरों में कैद हैं।कोरोना काल में कई बदलाव देखने को मिले हैं। भले ही कोरोना के वायरस संक्रमण के चलते देश-दुनियां में मौतों को ग्राफ बढ़ा है लेकिन स्वाभाविक मौतों के साथ ही दुर्घटना से हुई मौतों का ग्राफ धड़ाम से नीचे गिरा है। अपराधिक घटनाएं जहां कम हुई हैं वहीं हवा में कार्बन की कमी के चलते प्रदूषण में भारी गिरावट हुई है। देश की नदियां जहां पहले से स्वच्छ दिखती हैं वहीं प्रदूषण की कमी से पंजाब के जालंधर से हिमालय की वादियां दिखने लगी थी, लेकिन लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद अब सडक़ों पर यातायात दिखने लगा है जिसके चलते प्रदूषण फिर अपने रंगत में लौटने को आतुर है।

पंजाब की फसलों पर भी इसका असर दिखा

कोरोना के चलते बेरोजगारी का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है और आने वाले दिनों में खासकर पंजाब की फसलों पर भी इसका असर दिखेगा। कोरोना के चलते पंजाब से मजदूरों का पलायन निरंतर जारी है, जिसका असर धान की खेती के साथ-साथ फैक्टिरयों पर पड़ेगा। कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते पर्यावरण पर अच्छा असर दिखने को मिला है, धरती की घुटती सांस जैसे लौटने लगी है।

कोरोना काल में स्वाभाविक मौतों का ग्राफ काफी गिरा

अमृतसर स्थित श्मशानघाट के सुपरवाइजर धर्मेन्द्र की माने तो कोरोना काल में स्वाभाविक मौतों का ग्राफ काफी गिरा है। जिसका प्रमुख कारण वो बताते हैं कि प्रदूषण न के बराबर था और सडक़ दुर्घटना और अपराधिक घटनाओं में होने वाली मौतों में भारी कमी आई है।
कोराना के कार्यकाल के दौरान पिछले करीब 2 महीने में सांस रोगियों को भी लॉकडाउन के चलते उनके हालत इस लिए बेहतर हुए हैं क्योंकि पर्यावरण ने प्रदूषण पर विजय पा ली है। इस बारे में शूर हास्पिटल के डा. सूरज शूर कहते हैं कि प्रदूषण में आई कमी के चलते सांस रोगियों को राहत मिली है, जिसके चलते दिल की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को प्रदूषण की कमी ने दिल को संभालने में भारी मदद दी है, हालांकि वो चिंता भी जाहिर करते हैं कि जैसे ही लॉकडाउन पूरी तरह खुलेगा , सडक़ों पर आवाजाही बढ़ेगी ऐसे में बढ़ते प्रदूषण से फिर से खतरा पैदा होने के आसार प्रबल हो जाएंगे।