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भगवंत मान द्वारा ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी के नेतृत्व अधीन गैंगस्टर विरोधी टास्क फोर्स गठित करने का ऐलान

गैंगस्टरों के नैटवर्क से प्रभावशाली ढंग के द्वारा निपटने और कानून व्यवस्था में लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए उठाया कदम
चंडीगढ़, 5 अप्रैलः
राज्य भर में गैंगस्टरों के नैटवर्क का सफाया करके नागरिकों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज राज्य के पुलिस प्रमुख वी.के. भावरा को ए.डी.जी.पी. रैंक के अधिकारी का नेतृत्व अधीन गैंगस्टर विरोधी टास्क फोर्स (ए.जी.टी.एफ.) गठित करने के निर्देश दिए हैं।
पुलिस विभाग की उच्च स्तरीय मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये भगवंत मान ने संगठित अपराध के ख़ात्मे की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये कहा कि पुलिस तंत्र में लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए राज्य में अमन-कानून की व्यवस्था को यकीनी बनाना मुख्य प्राथमिकता है। उन्होंने नशे के व्यापार और कबड्डी जगत में पहले ही अपने पैर प्रसार चुके इस गठजोड़ को तोड़ने के लिए पुलिस फोर्स को फंडों के इलावा ज़रुरी स्टाफ, नवीनतम साजो-सामान और सूचना प्रौद्यौगिकी मुहैया करवाने का भरोसा दिया।
और जानकारी देते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि ए.जी.टी.एफ. देश में ऐसी विशेष इकाईयों की तर्ज़ पर ख़ुफ़िया जानकारी हासिल करना, कार्यवाहियां करने, एफ.आई.आरज़ दर्ज करने, जांच और मुकदमा चलाने का काम करेगी। जिलों के पुलिस कमीशनरों और एस.एस.पीज़ को संगठित अपराधों के विरुद्ध आपसी तालमेल से यत्न करने के निर्देश देते हुये भगवंत मान ने कहा कि राज्य भर में संगठित अपराधों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिए राज्य स्तरीय अधिकार क्षेत्र वाले नये थानों को जल्द ही नोटीफायी किया जायेगा जिससे आम लोगों के मन में गैंगस्टरों की तरफ से फैलायी दहशत को दूर किया जा सके।
मान ने स्पष्ट तौर पर कहा कि उन्होंने राज्य की अलग-अलग जेलों में बंद गैंगस्टरों की गतिविधियों पर सख़्त नज़र रखने के लिए जेल विभाग को पहले ही निर्देश दिए हैं और इस सम्बन्ध में किसी भी तरह की ढील बर्दाश्त नहीं की जायेगी।
संगरूर जिले में अपराध की दर में भारी गिरावट लाने सम्बन्धी अपना निजी तजुर्बा सांझा करते हुये मान ने कहा कि बतौर संसद मैंबर उन्होंने अपने ऐम.पी. फंड में से जिले के प्रमुख कस्बों में स्थानीय पुलिस स्टेशनों से जुड़े वाई-फाई सीसीटीवी कैमरे लगाने की पहलकदमी की है। भगवंत मान ने कहा, ‘‘इस प्रोजैक्ट के अंतर्गत बहुत कम कीमत पर हाई-रैज़ोल्यूशन कैमरे लगाए गए थे, जिन्होंने 24 घंटे निगरानी को यकीनी बना कर आम लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा की है।’’
रोज़मर्रा के घटते घातक सड़क हादसों के कारण कई कीमती जानें चले जाने पर गहरी चिंता का प्रगटावा करते हुये मान ने कहा कि इन हादसों के कारण हरेक साल 5500 से अधिक जानें चली जाती हैं और 1.5 लाख के करीब लोग इस कारण ज़ख़्मी हो जाते हैं। उन्होंने डी.जी.पी. को कहा कि वह हाईवे पैट्रोलिंग पुलिस का एक अलग विंग बनाने के लिए एक व्यापक प्रस्ताव लेकर आएं जिससे ट्रैफ़िक जाम को प्रभावशाली ढंग से कंट्रोल करने के साथ-साथ दुर्घटना पीड़ितों को समय पर डाक्टरी सहायता यकीनी बनाई जा सके जिससे कीमती मानवीय जानों को बचाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि मशहूर टी.वी. हस्ती जसपाल भट्टी की सड़क हादसे में मौत के बाद 136 ब्लैक स्पॉटस (दुर्घटनाग्रस्त स्थानों) की पहचान की गई थी परन्तु बदकिस्मती से ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए। उन्होंने हरेक पुलिस वाहन में एक फस्ट एड किट रखने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया जिससे ज़रूरत पड़ने पर सड़क पर ही किसी भी ज़ख़्मी को डाक्टरी सहायता दी जा सके।
भगवंत मान ने फील्ड और हैडक्वाटर में तैनात सभी पुलिस अधिकारियों को समय के पाबंद रहने और अनुशासन बनाई रखने के लिए कहा जिससे लोगों का विश्वास जीते जा सके। उन्होंने कहा कि इससे पुलिस बल को अपना अक्स सुधारने में मदद मिलेगी।
इससे पहले मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुये डी.जी.पी. वी. के. भावरा ने उनको भरोसा दिलाया कि समूचा पुलिस बल आम लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पूरी लगन, ईमानदारी और पेशेवर वचनबद्धता के साथ अपनी ड्यूटी निभाएगा।
विशेष डी.जी.पी. इंटेलिजेंस प्रबोध कुमार की तरफ से अपनी संक्षिप्त पेशकारी के दौरान साईबर अपराधों के कारण कानून व्यवस्था सम्बन्धी उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए पुलिस विभाग की अलग-अलग माँगें रखी गई, जिसका हवाला देते हुये मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने बताया कि वह पहले ही इन मुद्दों से अवगत हैं और उन्होंने डी.जी.पी. भावरा को वित्त विभाग के पास एक मुकम्मल प्रस्ताव भेजने के लिए कहा जिससे राज्य के सालाना बजट में इस सम्बन्धी ज़रुरी बजट का आवंटन किया जा सके।
मीटिंग में दूसरों के इलावा मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. वेणू प्रसाद, मुख्यमंत्री के विशेष प्रमुख सचिव गौरव यादव के इलावा सभी डी.जी.पी., विशेष डी.जी.पी., ए.डी.जी.पी., आई.जी., डी.आई.जी., पुलिस कमिशनर, ए.आई.जी. और एस.एस.पी शामिल थे।
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