पंजाब में हर रोज कोई न कोई नौजवान बच्चा नशों के कारण मौत के मुंह में जा रहा है और रोते बिलखते परिवार सरकार को यह कहते हैं कि नशे सरेआम बिक रहे हैं, रोकते क्यों नहीं। ऐसी बहुत सी घटनाएं सामने आईं, जहां नशों के विरोध में करते करते हैं, नशा तस्कर उन्हीं को मार देते हैं। मेरा आज का प्रश्न न पुलिस से है, न सरकार से है, बल्कि उन धर्म स्थानों के प्रबंधकों और उनके मुख्य संचालकों से है कि जिस जिस के गांव में नशा बिकता है वे मौन क्यों रहते हैं? पंजाब का शायद ही ऐसा कोई गांव होगा जहां गुरुद्वारा न हो, बहुत से गांवों में मंदिर भी हैं। चर्च भी बन चुके हैं। इन सभी पूजा स्थानों में जनता भी इकट्ठी होती है, उपदेश भी दिए जाते हैं। अरदास प्रार्थना भी होती है, पर क्या यह सब इतने कमजोर हैं कि अगर इनके गांव में या आसपास कोई नशा तस्कर है तो उस पर नकेल न कर सकें। मेरा पंजाब के शहरों, गांवों में बसे साधु संतों से भी यही सवाल है कि अगर पंजाब के गांवों में, शहरों में नशा बिक रहा है, सैकड़ों नौजवान लाश बन चुके हैं, कई नशों के जाल में फंसे हैं तो उनको बचाने के लिए यह पूजा स्थानों वाले क्या कर रहे हैं। क्या पूजा स्थानों का और धर्म गुरुओं का काम केवल परलोक का रास्ता दिखाना है या जिंदगी बचाने के लिए भी कुछ करना है? मेरा विश्वास है कि जिस दिन सभी मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्च के मुखिया धर्म गुरु और प्रबंधक यह कमान संभाल लेंगे, पंजाब में नशा बिकना बंद होगा, नशा तस्कर भी भाग जाएंगे।
लक्ष्मीकांता चावला