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नकली बैंक खोलने वाले के ‘माता-पिता’ भी रहे हैं ‘बैंक मुलाजिम’नटवर लाल ‘कमल’ , नकली बैंक खोलते ‘मुरझाया


लाइव भारत की यह कहानी ऐसे हाईटेक युग की है। जहां 19 साल की उम्र में बैंक में नौकरी न मिलने पर नकली बैंक खोल कर बैठ गया। करीब 3 महीने पहले ही शुरूआत की।
बात है तमिलनाडु के जिला कुडलोर की। कुडलोर जिले में पनरूति बाजार है जहां के 19 साल के कमल बाबू इतने ‘बाबू’ निकले कि उन्होंने जिस बैंक में मुलाजिम उनके ‘माता-पिता’ रहे हैं उसी बैंक के नाम से ‘नकली बैंक’ खोल लिया। कोई भी ‘असली-नकली’ के भेद न पा सका। 3 महीने गुजर जाते हैं। किसी को कोई भनक नहीं। अब कहानी में क्लाइमेक्स आता है। अब कहानी में आखिर आगे क्या होता है कि एक ऐसा नटवर लाल अपने 3 साथियों के साथ गिरफ्तार होता है जो बैंक का फर्जीवाड़ा से सारे हूबहू दस्तावेज तैयार करके लोगों को ठगी मारने के लिए नकली बैंक 3 महीने पहले खोल दिया
लेकिन अभी यह धोखे का नकली बैंक लॉकडाउन के दौरान रफ्तार नहीं पकड़ सका था लेकिन बिसात तो बिछा ही दी थी। सारी कहानी हम आपको बातचीत कहानी लहजे में सुनाते हैं।
तमिलनाडु का जिला है कुडलोर । इसी जिले में पड़ता है पनरूति बाजार । यहीं का रहने वाले 19 साल के
कमल बाबू को नौकरी को मोहताज थे। माता-पिता दोनों स्टैट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में कर्मचारी थे। पिता का 10 साल पहले जब निधन हुआ तब कमल 9 साल का था। मां 2 साल पहले बैंक से रिटायर हुई हैं।
वक्त के साथ कमल खिलता रहा। कमल को अब हसरत थी कि बैंक में नौकरी मिल जाए, जब पिता का निधन ड्यूटी दौरान हुआ था तब कहा गया था कि उसे बैंक में नौकरी जब बड़ा होगा तो मिल जाएगी, लेकिन कमल को नौकरी 19 साल बीतने चला था नौकरी नहीं मिली।
कमल को अपने भविष्य में नौकरी नजर न आई तो उसने
19 साल की उम्र में उसने ऐसा प्लान बनाया जो हैरान कर देने वाला है। कमल ने अपने शहर में नकली बैंक खोल लिया और इस काम के लिए उसने 52 साल के मणिकम व 42 साल के कुमार को मिलाया। खास बात है कि बैंक भी खोला एसबीआई यानि जिस बैंक में माता-पिता काम करते थे और जिल बैंक में उसे नौकरी भी नहीं मिली थी।
कमल बाबू ने नकली बैंक खोलने की योजना बनाई। मणिकम ने बैंक स्टांप पेपर आदि दस्तावेज तैयार किए। कुमार ने स्टेशनरी , पासबुक चालान की जिम्मेदारी संभाली।
कंप्यूटर से लेकर लॉकर से लेकर बाकी सैटअप खरीदा । तीनों ने मिलकर ‘पनरूतू बाजार ब्रांच’ नाम की वेबसाइट भी बनाई। सब कुछ हुबहू जैसा कि बैंक में दिखता है। सब कुछ असली जैसा। लेकिन भांडा तो फूटता ही है यह अलग बात है कि कमल की साजिश पहले ही मुरझा गई, 3 महीने पहले खोले गए बैंक में लेन-देन हुआ है या नहीं यह जांच चल रही है। पहली नजर में अभी 3 महीने में लॉकडाउन से काम ‘डाउन’ था या नहीं यह जांच का हिस्सा है।
अब बताते हैं कि भंडा कैसे फूटा। हुआ यूं कि एसबीआई के हुबहू तरह सैटअप तैयार किया गया था। ब्राडिंंग भी वैसे ही की थी। असली-नकली में फर्क भी नहीं। इसी दौरान एसबीआई (असली) के एक ग्राहक ने इस बारे में बैंक वालों से पूछा तो बैंक वाले भी हैरान कि उनकी ब्रांच कोई खुली है। इसी बीच एसबीआई के अधिकारियों ने पहले अपने जोनल हेड व हाईकमान से बात की और उसके बाद पुलिस को जानकारी दी गई। पुलिस ने एसबीआई के अधिकारियों के साथ नकली बैंक में दबिश दी तो सब हैरान हो गए। बैंक मैनेजर दंग। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि कमल के माता-पिता बैंक में मुलाजिम थे, ऐसे में बैंक के राज वो जानता था। ऐसे में जब उसे नौकरी नहीं मिली तो उसने नकली बैंक खोल डाला ।
अब आते हैं कमल बाबू पर। कमल 19 साल का है बाकी दो लोगों की उम्र 52 साल व 42 साल है। मास्टर माइंड कमल है। ऐसे में उसकी साजिश में साथ देने वाले दो चेहरे कुमार व मणिकम हैं। कमल ने किस तरह नकली बैंक का सैटअप तैयार कर दिया, उसकी योजना क्या था यह तो वही जाने लेकिन पुलिस को बयान दिया है कि ‘ मैंने अपने बैंक खोला था’ बस यही हसरत थी।
सबसे बड़ी बात अब कमल व उसके दोनों साथी सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं, नकली बैंक को असली बैंक वालों की शिकायत पर सील कर दिया गया है। तीनों आरोपियों से पूछताछ जारी है। तो यह थी लाइव भारत की ऐसी कहानी जिसमें 19 साल के कमल ने नटवर लाल के भी ‘कान’
काट दिए।

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