गंगा में साबुन लगा नहाया तो पांच सौ रुपए जुर्माना आरती करने वालों और पंडों को भी देना होगा टैक्स

घाटों के रखरखाव के लिए गंगा घाट पर आयोजनों का शुल्क देना होगा आरती के आयोजकों को पांच हजार, पंडों को 100 रुपए वार्षिक देना है विरोध के बाद मंत्री नीलकंठ तिवारी ने दी सफाई, कहा- ऐसा नहीं होगा

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उतर प्रदेश (वाराणसी):-उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी की पहचान घाटों से है। हर दिन वाराणसी के घाटों पर पूजा पाठ, अनुष्ठान के साथ गंगा आरती और अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। गंगा किनारे होने वाले इन आयोजनों पर अब नगर निगम टैक्स वसूलेगा। लेकिन, नए नियमों के अनुसार अब गंगा आरती से लेकर घाट पर पूजा अनुष्ठान कराने वाले पंडों को टैक्स देना पड़ेगा। वहीं, गंगा नदी में साबुन लगाकर नहाने पर पांच सौ रुपए जुर्माना लगेगा। समाजवादी पार्टी ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। इस बीच विरोध को देखते हुए धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई बात नहीं है, उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा-

नगर निगम की घोषणा के बाद मंत्री ने संज्ञान लेते हुए कमिश्नर एवं नगर आयुक्त से वार्ता की थी। वाराणासी उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ने कहा है कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा समाज को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, उनसे कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गंगा के घाटों पर परंपरागत तरीके से पूजा पाठ, धार्मिक कार्य एवं कर्मकांड कराने वाले पंडा लोग अपनी इच्छानुसार इच्छुक हो तो रजिस्ट्रेशन कराएं, अन्यथा इसके लिए भी कोई बाध्यता नहीं होगी।

नगर निगम की घोषणा

इससे पहले नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि घाटों के रखरखाव के लिए अब गंगा घाट पर आयोजनों पर शुल्क लिया जा रहा है। आरती के आयोजकों को सालाना 5000 हजार तक का शुल्क देना होगा जबकि घाट के पंडों को 100 रुपया सालाना देना होगा। ठीक ऐसे ही वरुणा किनारे होने वाले आयोजनों पर भी शुल्क लगेगा। अपर नगर आयुक्त देवी दयाल वर्मा के मुताबिक रखरखाव को और बेहतर करने में शुल्क की व्यवस्था की गई है। ये बहुत ही नॉमिनल शुल्क है। इससे किसी को कोई परेशानी नहीं होगी।सांस्कृतिक आयोजन पर 4000, धार्मिक आयोजन के लिए 500 रुपए प्रतिदिन, 200 रुपए लगेगा। इसके अलावा यदि कोई सामाजिक आयोजन (संस्था द्वारा) शुल्क देना होगा। वहीं एक साल तक कोई आयोजन लगातार होगा तो 5000 वार्षिक शुल्क देना होगा। वहीं साबुन लगाकर कोई नहाते मिलेगा तो 500 रुपए,कचरा फेंकने पर 2100 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के जल निकासी पर 50 हजार से 20 हजार रुपए तक का शुल्क है।